भागवत का उद्बोधन: क्या राजनीति में आध्यात्मिकता का नया युग शुरू हुआ? Rss Centennial Marks Political Shift

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भागवत का उद्बोधन: क्या राजनीति में आध्यात्मिकता का नया युग शुरू हुआ? Rss Centennial Marks Political Shift
साधनान्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी वर्ष पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित वार्षिक व्याख्यानमाला ने भारतीय राजनीति में एक नए अध्याय का सूत्रपात किया।
संघ सरचालक मोहन भागवत के व्याख्यानों ने न केवल संघ की विचारधारा को स्पष्ट किया, बल्कि भारत को विश्वगुरु बनाने की रणनीति को भी रेखांकित किया।
उन्होंने व्यक्ति-निर्माण को संघ की कार्यप्रणाली का केंद्र बताया, जो समाज की जटिल समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है।
भागवत ने स्पष्ट किया कि व्यक्ति के चरित्र, दृष्टि और आचरण में परिवर्तन के बिना किसी भी व्यवस्था में स्थायी परिवर्तन असंभव है।
यह विचार बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो चुनावों में जनता का समर्थन पाने के लिए अक्सर व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय व्यापक नीतियों पर जोर देते हैं।
भागवत के विचारों ने कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों को भी विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्या वे व्यक्तिगत परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान कर सकते हैं।
इस व्याख्यानमाला से नेताओं को आध्यात्मिकता और राजनीति के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर पुनर्विचार करने का अवसर मिला है।
यह आयोजन सिर्फ संघ के सौ वर्षों की यात्रा का मूल्यांकन नहीं था, बल्कि आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य की दिशा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इससे देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक गहन आध्यात्मिक आयाम जुड़ सकता है, जिससे भविष्य के चुनावों में नए तरह के मुद्दे उभर सकते हैं।
- भागवत ने व्यक्ति-निर्माण को राष्ट्र निर्माण का आधार बताया।
- राजनीति में आध्यात्मिकता का नया आयाम दिखाई दिया।
- बीजेपी और कांग्रेस पर विचार करने का दबाव।
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Posted on 09 September 2025 | Follow साधनान्यूज़.com for the latest updates.