संसद का गतिरोध: क्या राजनीति ने लोकतंत्र को बंधक बनाया? राजनीति Parliamentary Deadlock Hampers Democracy India

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संसद का गतिरोध: क्या राजनीति ने लोकतंत्र को बंधक बनाया? राजनीति Parliamentary Deadlock Hampers Democracy India
साधनान्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में संपन्न मानसून सत्र ने भारतीय संसद की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लोकतंत्र के इस सर्वोच्च मंच पर राजनीतिक गतिरोध और हंगामे ने चर्चा और बहस को पूरी तरह से प्रभावित किया।
राज्यसभा में केवल 41.15 घंटे और लोकसभा में 37 घंटे ही कामकाज हो पाया, जबकि निर्धारित समय बहुत अधिक था।
इससे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई और देश के सामने कई सवाल अनुत्तरित ही रह गए।
बीजेपी और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच तीखा टकराव देखने को मिला, जिससे संसद की गरिमा को ठेस पहुँची।
यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि चुनावों के बाद जनता के प्रतिनिधि संसद में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में असमर्थ दिखे।
ऐसे में, लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना होगा।
देश को अपने नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी और परिपक्वता की अपेक्षा है।
यह आवश्यक है कि भविष्य के सत्रों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ।
अन्यथा, लोकतंत्र की यह संस्था केवल हंगामे और गतिरोध का पर्याय बनकर रह जाएगी।
यह स्थिति न केवल दुखद है, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी गंभीर खतरा है।
- मानसून सत्र में बेहद कम कामकाज हुआ।
- बीजेपी और कांग्रेस में तीखा टकराव देखा गया।
- लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ है।
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Posted on 04 September 2025 | Follow साधनान्यूज़.com for the latest updates.