ट्रम्प का फैसला: क्या अमेरिकी IT उद्योग में भारतीय निवेश पर पड़ेगा असर? Us Curbs Indian It Outsourcing

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ट्रम्प का फैसला: क्या अमेरिकी IT उद्योग में भारतीय निवेश पर पड़ेगा असर? Us Curbs Indian It Outsourcing
साधनान्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन द्वारा भारतीय आईटी कंपनियों को आउटसोर्सिंग कार्य कम करने पर विचार किए जा रहे हैं, जिससे भारतीय उद्योग पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
50% टैरिफ के बाद यह कदम अमेरिकी एक्टिविस्ट और ट्रम्प समर्थक लॉरा लूमर के दावे के बाद उठाया जा रहा है।
लूमर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “इसका मतलब है कि अब आपको अंग्रेजी के लिए 2 दबाने की जरूरत नहीं है।
कॉल सेंटरों को फिर से अमेरिकी बनाएं।
” यह बयान भारत के कॉल सेंटरों पर केंद्रित है जो अमेरिकी कंपनियों को सस्ती कस्टमर सपोर्ट सेवाएं प्रदान करते हैं।
उन्होंने ‘मेक कॉल सेंटर्स अमेरिकन अगेन’ का नारा भी दिया।
गूगल, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, IBM, सिस्को और ओरेकल जैसी कई बड़ी अमेरिकी तकनीकी कंपनियां भारत में डेवलपमेंट सेंटर, रिसर्च सेंटर और कॉल सेंटर चलाती हैं और यहां से बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग करती हैं।
भारत में सस्ती श्रम लागत, कुशल कार्यबल और अनुकूल सरकारी नीतियां आउटसोर्सिंग के प्रमुख कारण रहे हैं।
यदि ट्रम्प प्रशासन आउटसोर्सिंग पर रोक लगाता है, तो इससे भारतीय आईटी उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और विदेशी निवेश में कमी आ सकती है।
यह कदम भारत के वित्तीय क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे नए निवेश के अवसरों में कमी आ सकती है।
अमेरिकी प्रशासन के इस संभावित निर्णय का भारतीय उद्योग पर व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है, जिससे भारत को अपने उद्योगों में विविधीकरण और नई रणनीतियों पर विचार करने की आवश्यकता होगी।
- ट्रम्प प्रशासन आउटसोर्सिंग पर विचार कर रहा है।
- भारतीय आईटी उद्योग पर पड़ सकता है नकारात्मक असर।
- शेयर बाजार और विदेशी निवेश प्रभावित हो सकते हैं।
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Posted on 08 September 2025 | Check साधनान्यूज़.com for more coverage.